कल रात चाँद ने
परदे से झाँक कर
तुम्हें खुद में देख सकने का
सुकून मुझसे छीन लिया
मुझसे रात भर यह तुम्हारी
खैरियत के किस्से करता रहा
ना एक पल खुद सोया
ना मुझे दम लेने दिया
मैं किस्से सुनता रहा
वो कहानी सुनाता रहा
बे-अदब हवा शाम से ही
खिड़कियाँ टटोल रही थी
जैसे शायद आज कहीं
तुम्हें छू कर आई हो
मुझे तुम्हारा पता देना
चाहती थी शायद,
कमबख्त
अपनी बदहवासी में
कागज़ में संभाले
तुम्हारी टूटी चूड़ियों के
टुकड़े बिखेर गयी
मैं रात भर फर्श से
टुकड़े उठाता रहा
अपनी आँखों से
कांच छानता रहा
बाहर अंधेरों से झांकती
हलकी मुलायम चांदनी
तुम्हारे बालों सी
मेरे चेहरे पे गिरती रही
तुम कहीं छुप कर
हँसती रही
मैं रौशनी ढूंढता रहा
परछाइयां हटाता रहा
अभी यहीं तो था
मेरे हाथों में
तुम्हारा चेहरा
जाने कहाँ छिटक गया
लाख तलाशा पर
नज़र नहीं आया
शायद किसी और को मिला हो
मैं उम्र भर इंतज़ार में रहा
कि शायद कोई लौटा जाएगा
उँगलियों से मेरी यूँ ही
वक़्त फिसलता रहा,
साल घटते रहे
मैं दिन बढाता रहा
डाकिया देहलीज़ पर मेरी
कल फिर तुम्हारे नाम का
ख़त छोड़ गया है
तुम्हारा पता अब भी
जब कोई मुझसे पूछता है
जवाब यही देता हूँ
कि यहाँ तो नहीं
पर अब भी यहीं रहती हो
ठिकाने पर अब तक मेरे
हसरतों का आना जाना रहा
दीवारें देखती रहीं पर अब
वो मेरा आईना ना रहा
कल रात एक बार फिर
सपने जागते रहे
चाँद किस्सा कहता रहा
मैं सुनता रहा
वो सुनाता रहा
9 comments :
Lovely... :-)
Beautiful.. and once again Random Celebrations are the "Romantic Celebrations" ;-)
It's great to read all that you pen down!!
@Aasthaa: I like the name. Maybe I should club everything and put it in a separate blog.
@Roopa: Pleasure, dear :)
nice one..
Nice!! :))
You are seriously gifted, it would be so special to be you.
Dear Anonymous,
Thanks a ton for all your kind words. I am not sure if being me is special or not, I guess it's people and life around me that gets translated to words at times.
Thanks for all your appreciation all the same. Wish you had left your name.
Very nice:)
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