कुछ उन दिनों की बात है जब जाड़ों की झीनी धूप अपने साथ ऊंघते, अलसाये, दिन में पलते सपने लाती थी. तब शायद दिसम्बर का महीना इतना सर्द नहीं ह...
Saturday, April 28, 2012
Tuesday, April 10, 2012
Tere Bin…
This one too made it from the drafts somehow…been a few years since I wrote it though. सूखे होंठ, रूखे बाल गीली रातें, मूक सवाल भागती ...
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