Friday, June 11, 2010

अधूरी तसवीरें जादू भरी होती हैं, नज़र मिले तो बे-रंग पटल पर सैंकड़ों कहानियाँ कह जाती हैं, नहीं तो प्रत्यक्ष से परे अपने भीतर सिमट जाती हैं.  इन पंक्तियों में भी सिर्फ एक पल का सार है, गहन अभिव्यक्ति नहीं, कैनवास पर अनैच्छिक उभरी किसी रेखा की तरह, नज़र आये तो तस्वीर, नहीं तो महज लकीर...

देखता हूँ,
कि तुम देखती हो.

उस दिन हम शायद
यहीं कहीं तो बैठे थे
बहते पानी में पाँव डाले
मेरे काँधे तुम्हारा सर रखे
तुमने हाथों से पानी में
नाम कुछ यूँ ही लिखे थे
यह नीला प्रतिबिम्ब कहीं
पत्थरों पे छप गया है
सोचता हूँ
इन लहरों पर छोड़ी
तुम्हारी उंगलियाँ साथ ले चलूँ
पानी की यह अतृप्त बूँदें
तुम्हारे स्पर्श सी छलती हैं 
मैं अंजलि में तुम्हारा हाथ भर
अपनी आँखों तक ले आता हूँ
मेरी उँगलियों से छन कर,
तुम फिर क्यों बह जाती हो   

धारों के कांच के परे
देखता हूँ,
कि तुम देखती हो

उस दिन तुम कुछ कह रही थी
बात रह गयी थी कुछ बाकी
क्या कुछ बोल रहे अधूरे
या सिर्फ मेरा मौन था बाकी
तुम अपनी ख़ामोशी की
एक अदना चिट्ठी लिख भेजो
मैं अपने लिफ़ाफ़े में तुम्हें एक
सांस की दूरी भेजूंगा
सांझ - प्रभात की विडम्बना
और कुछ सवाल लिखूंगा
तुम्हारे बिगड़ने - मनाने
का बाकी हर मलाल भेजूंगा

तुम्हारी चुप्पी का जवाब लिखते
देखता हूँ ,
कि तुम देखती हो.

पिछली रात, सफ़ेद चादरें
चांदनी में भीगने डाली थीं
सुबह की ओस में इन्हें मैं
छत पर ही छोड़ आया हूँ
तुम इन्द्रधनुष में ब्रुश डुबो,
इन्हें अपनी आँखों सा रंग लेना
मैं दिन ढले इन्हें ले जाऊंगा
अपनी आखिरी नींद से पहले
इन्हें ओढ़, मैं फिर जगने तक
इन सलवटों में तुम्हें सहेजूंगा
मुझ से पहले जो तुम जागो
तो मैं यहीं सोया मिलूंगा

सपनों की मरीचिका जीते 
देखता हूँ, 
कि तुम देखती हो.

Feather

8 comments :

Anonymous said...

Good one
Sonia :)

Anonymous said...

Ultimate..sad but very romantic. I was envisaging while reading...good job :) --Rashmi Chauhan

Anonymous said...

Reads like the story of my life…

Roopa said...

Another great post... indeed... please write more often...it's wonderful to read all that you write..

How do we know said...

this is soooo awesome!!! i dont believe i know the person who wrote this! incredible imagery.

Himanshu Tandon said...

Thank you all. I guess these little words of appreciation keep me going.

Thanks again.

Davinder said...

Yeh Sochkar Koi aehde vafaa karoo humse,
Hum ek vaade par umre gujaar dete hai!

there is nothing sad in this! sirf ahesas hai rooh se mahssos karo.
keep the good vibes: Davinder

Gaurav Kant Goel said...

It is sad and touching!! Keep up the great writing!!!

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