हुआ करे लाख़ मुख़ातिब, हमसे लोग ज़माने में करें ख़ैरियत - ख़्याल बेशक़, दिन-रात, आने-जाने में दरकार सबकी अपनी है, अदब-सलाम बजाने में यूँ ही नही...
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हुआ करे लाख़ मुख़ातिब, हमसे लोग ज़माने में करें ख़ैरियत - ख़्याल बेशक़, दिन-रात, आने-जाने में दरकार सबकी अपनी है, अदब-सलाम बजाने में यूँ ही नही...